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प्रथम आहार दाता “राजा कूल प्रभु प्रसादशाला

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प्रथम आहार दाता “राजा कूल प्रभु प्रसादशाला

  • अंतिम तीर्थंकर भगवान श्री महावीर स्वामी का दीक्षा के दो दिन बाद प्रथम आहार दान देने वाले कूलग्राम के राजा कूल का नाम दान परम्परा के प्रवर्तक दान तीर्थंकर हस्तिनापुर के राजा श्रेयांश की श्रेणी में आता है।
  • शास्त्रों में लिखा है कि तीर्थंकर मनिराज को प्रथम आहार देने वाले दाता को उसी भव से तीसरे भव से नियम से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
  • साधु संतो को आहार देने से नरक और तिर्यंचगति की प्राप्ति नहीं होती है। 
  • तो अपने साधर्मी भाई बहिनों को भोजन करवाने से दाता के घर मे कभी भी अन्न का अभाव नहीं होता है, अर्थात उनकी रसोई अन्नपूर्णा हो जाती है। 
  • तपोभूमि की यह भोजनशाला 2007 से अनवरत चल रही है। 
  • हमने इस भोजनशाला का नाम भगवान महावीर स्वामी के प्रथम आहार दाता के नाम से “राजा कूल प्रभु प्रसादशाला रखा है। 
  • इस भोजन शाला मे प्रभु प्रसाद ग्रहण करने हेतु आप सादर आमंत्रित है। 
  • अतः भोजन को प्रसाद की तरह ही ग्रहण करें, और जितना ले उसे पूरा स्वीकार करें । 
  • इसी भावना के साथ, प्रभु प्रसाद आपके हाथ । 
  • जय श्रेयांश - जय राजा कूल