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चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महामुनिराज

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चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महामुनिराज

  • आचार्य श्री शांतिसागर जी मुनिराज का जन्म कर्नाटक प्रान्त के भोजग्राम में आषाढ़ वदी षष्टी के दिन सन् 1872 को हुआ था। 
  • पिता भीमगोंडा और माता सत्यवती कीआप तीसरी सन्तान थे। 
  • आपका नाम सातगोंडा पाटिल था। 
  • आपने मुनि देवेन्द्र कीर्ति जी (देवप्पा स्वामी) से उत्तूर में क्षुल्लक एवं परनाल (कर्नाटक) पंचकल्याणकमें मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री शांतिसागर नाम प्राप्त किया था। 
  • आपको चतुर्विध संघ ने समडोली महाराष्ट्र में आचार्य कहकर पुकारा। इस तरह आप बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य घोषित हुए। 
  • बाद में आपको चारित्र चक्रवर्ती की उपाधि से अलंकृत किया गया। 
  • आपने अपने जीवनकाल में 9938 उपवास करके कठोर साधना की आपकी समाधि 18 सितम्बर 1955 को सिद्धक्षेत्र श्री कुंथलगिरी जी मे हुई। 
  • आपकी जन्मभूमि में तपोभूमि प्रणेता आचार्यश्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज की प्रेरणा से श्री शान्तिसागर तीर्थ का निर्माण हुआ है।